शिक्षिका के रुप में दिखीं पर्वतारोही तुलिका

देहरादून। शुक्रवार, 29 अप्रैल को एयर फोर्स की रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर और पर्वतारोही तुलिका रानी अमर उजाला फाउंडेशन के तत्वाधान में आयोजित लेक्चर के तहत दून पहुंची। सबसे पहले उन्होंने यूनिसन वर्ल्ड स्कूल में छात्राओं को व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने अब तक के पर्वतारोहण के जुडे अनुभव वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से छात्राओं के साझा किए। उन्होंने बताया कि किस तरह से मांउट एवरेस्ट जैसी 8848 मीटर उंची पर्वत चोटी के अतिंम पर आकर हौंसलो की अग्नि परीक्षा होती है।

दोपहर बाद तुलिका रानी होरावाला स्थित एकोल ग्लोबल स्कूल पहूंची। यहां पहले से ही छात्राऐं उनका इंतजार कर रहीं थी। यहां स्कूल के डायरेक्टर तरुणजोत जुनेजा और प्रिंसिपल वृंदा घोप ने तुलिका रानी का स्वागत किया उसके बाद तुलिका अपने अंदाज में छात्राओं से रुबरु हुई। पहले उन्होने अपने अनुभव साझा किए। इसके बाद उन्होंने बताया कि अगर सपना देखा जाए तो उसे पूरा करने के लिए किस तरह से मेहनत करें तो सफलता मिल सकती है।

कौन है तुलिका रानी

उत्तर प्रदेश सरकार की और से पर्वतारोहण के लिए रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड हासिल कर चुकी तुलिका रानी मूलरुप से मेरठ निवासी है। तुलिका ने दस साल तक एयरफोर्स में सेवाएं दी। इस दौरान उन्होंने वर्ष 2012 में माउंट एवरेस्ट फतह कर उत्तर प्रदेश की पहली महिला होने का मुकाम हासिल किया। तुलिका ने जनवरी 2016 में नेपाल के माउंट अन्नपूर्णा बेस कैंप मे सर्दियों मे बिना गाईड के पर्वरोहण किया और फरवरी 2016 में अमर उजाला फाउंडेशन के सहयोग से अफ्रीका की सबसे उंची पर्वत चोटी माउंट किलिमंजारो फतह किया।

अमर उजाला का शुक्रिया किया

तुलिका नें दोनों स्कुलों अपने व्याख्यान के दौरान अमर उजाला फाउंडेशन का शुक्रिया अदा करना नही भूली। अमर उजाला फाउंडेशन ने तुलिका को अफ्रिका की माउट किलिमंजारो चोटी पर पर्वतारोहण करने में अखबार के माध्यम से और अर्थिक तौर पर सहायता की थी । तुलिका ने बताया कि अगर नीयत नेक हो ,कुछ करने का जज्बा हो तो निश्चित तौर पर अमर उजाला फाउंडेशन जैसे मजबूत सहारे ही जाते है।