कानून का रहे ज्ञान, तो बनेगा जीवन आसान

अलीगढ़। एडीआरएस इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (पला सल्लू) में बुधवार को अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से ‘पुलिस की पाठशाला’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कानून का सम्मान, कानून से जीवन आसान के ध्येय वाक्य के साथ कार्यक्रम में मौजूद मुख्य अतिथि एसपी सिटी डॉ. ब्रजेश सिंह ने वहां मौजूद विद्यार्थियों के साथ संवाद किया। इस दौरान उन्होंने छात्रों के मन में पुलिस और उसकी कार्यशैली से जुड़ी जिज्ञासाओं से जुड़े प्रश्नों का उत्तर दिया। कुछ प्रश्न बेहद रोचक और लीक से हटकर थे। संवाद से पहले एसपी सिटी डॉ. ब्रजेश सिंह ने छात्रों से कहा कि वह कानून से डरें नहीं बल्कि उसका सम्मान करना सीखें। कानून लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए है। कानून की जानकारी करके वह न सिर्फ जिम्मेदार नागरिक बनेंगे, बल्कि पुलिस और प्रशासन के लिए भी मददगार साबित होंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस का उद्देश्य समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखना है। यह मकसद वह नागरिकों के सहयोग से ही हासिल करती है। वर्दी वाली पुलिस के साथ एक बिना वर्दी वाली पुलिस और साथ रहती है जिसमें आप भी शामिल हैं। तहसीलदार सुनीता सिंह ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इससे छात्रों और पुलिस के बीच की दूरी कम होगी और वह पुलिस की कार्यशैली के साथ कानून की जानकारी भी कर सकेंगे। थाना प्रभारी गभाना, मो. असलम ने कहा कि युवाओं से अपेक्षा की जाती है कि यातायात नियमों का पालन करेंगे। साथ ही बेहतर समाज के निर्माण में पुलिस का भी योगदान करेंगे। इंस्टीट्यूट के चेयरमैन धीरेंद्र सिंह ने कहा कि पुलिस और प्रशासन के लोगों ने जिस प्रकार छात्रों के बीच आकर संवाद किया है वह उसके लिए आभार व्यक्त करते हैं। अमर उजाला के संपादक अरुण आदित्य ने कहा कि समाचारों के साथ सरोकारों के प्रति भी कार्य करते रहना हमारा मकसद है। उन्होंने घर से दूर आकर पढ़ रहे छात्रों के मनोभावों को व्यक्त करती अपनी कविता ‘चिट्ठी’ का पाठ किया। इस मौके पर नायब तहसीलदार, केके दत्त, रिटायर कर्नल प्रेमपाल सिंह, विवेक सिंह, कुशवेंद्र पाल सिंह, भूपेंद्र सिंह, अतुल गौड़, रियाज अहमद, संजीव सिंह, प्रशांत सिंह, दीप्ति गुप्ता, विभा सिंह, प्रेमपाल सिंह नेताजी, सचिन शर्मा, संतोष सिंह, प्रकाश चौधरी प्रधान आदि मौजूद थे।
अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से एडीआरएस में ‘पुलिस की पाठशाला’ का आयोजन
एसपी सिटी डॉ. ब्रजेश सिंह ने छात्रों के साथ किया संवाद, दिए प्रश्नों के उत्तर
दृश्यम फिल्म में बंदी प्रत्याक्षीकरण का इस्तेमाल कर फिल्म का नायक स्वयं का कैसे बचाव करता है
– अभिनव प्रकाश, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, द्वितीय वर्ष
एसपी सिटी- इस फिल्म में नायक घटना के समय स्वयं को अन्य जगहों पर होने के साक्ष्य पुलिस के समक्ष प्रस्तुत करता है। जिससे वारदात में उसकी मौजूदगी साबित नहीं पाती है।
‘शहर में ट्रैफिक लाइट खराब हैं और यातायात व्यवस्था भी बेहद लचर है। क्या वजह है कि इसे पटरी पर नहीं लाया जा सकता है’
– हितेंद्र, सिविल द्वितीय वर्ष
एसपी सिटी- जल्द ही मार्च के महीने में शहर के सभी चौराहों पर ट्रैफिक लाइटें लगाने की शुरुआत हो जाएगी। साथ ही कैमरे भी लगाए जाएंगे जिससे यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को पकड़ा जा सके
‘लड़के अगर तीन सवारी चलें तो चालान होता है। लड़कियों का चालन क्यों नहीं होता है’
– चेतन शर्मा,
एसपी सिटी- चालान तो हम लड़कों के भी नहीं करते। चालान का मकसद दंड देना नहीं है। बल्कि कानून के प्रति सम्मान का भाव पैदा करना है। चेकिंग के दौरान अगर पता चलता है कि कोई छात्र है और वह प्रमाण देता है तो उसे हिदायत देकर छोड़ देते हैं।
यह सीज फायर क्या होता है और इसका क्या मतलब है
– अंजलि जादौन
कर्नल प्रेमपाल सिंह (रिटायर्ड)- दो देशों की सेनाओं के बीच युद्ध के दौरान जब कुछ समय रुकने की स्थिति आए तो उसे सीज फायर करते हैं। जिससे कि युद्ध काल में समझौता वार्ता हो सके और युद्ध से होने वाला विनाश टल सके। सीज का मतलब है बंद कर देना और फायर का अर्थ फायरिंग या गोलाबारी से है।
इस तरह हमलों को कुछ समय के लिए रोक देना सीज फायर है।