हौसले में हो दम तो मंजिल चूमती है कदम

बुधवार,27 अप्रैल,

गाजियाबाद। अगर इंसान के हौसले बुलंद हों तो बडे से बडा काम करने में भी परेशानी नहीं आती। लक्ष्य निर्धारित करो और उसे पाने में जुट जाओ। परेशानियों का डटकर मुकाबला करों। देखना एक दिन मजिंल आपके कदमों में होगी। यह कहना था पर्वतारोही तूलिका रानी का। अमर उजाला फाउंडेशन के द्वारा नेहरु वर्ल्ड स्कूल में आयोजित इस कार्यक्रम में तूलिका ने बच्चों को स्ट्रेस फ्री रहने के टिप्स दिए। पहाडों से प्यार हर किसी को होता है, लेकिन ऐसे लोग कम ही होते हैं, जो इन पर्वतों की ऊंची चोटियों को फतह करने का जुनून रखते हैं। तूलिका रानी उन्हीं में से एक हैं। मानसिक और शारीरिक तनाव का प्रबंधन विषय पर नेहरु वर्ल्ड स्कूल में तूलिका रानी का गेस्ट लेक्चर आयोजित किया गया। एक्स. स्क्वाड्रन लीडर तूलिका रानी ने बताया कि जीवन में बहुत बाधाएं आती हैं, लेकिन उनका सामना करना चाहिए। अपने अदंर आत्मविश्वास पैदा किया जाए तो बडी से बडी बाधा भी दूर हो जाती है। माउंट एवरेस्ट की कहानी को तूलिका ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से दिखाया। उन्होंने कहा कि तनाव भी जीवन का एक हिस्सा है। उसे कम करने की कोशिश होनी चाहिए। 2009 में पर्वतारोहण की ट्रेनिंग शुरु की। फिजिकल और मेंटल एक्सरसाइज की। 2011 में एयरफोर्स ने एक महिला दल बनाया, जिसे माउंट एवरेस्ट को फतह करना था। काफी मेहनत के बाद 2012 में अपनी मंजिल पा ही ली। हालांकि बाद में तीन माह तक अस्पताल में भर्ती रही। एवरेस्ट के बाद ईरान और अफ्रिका महाद्वीप की सबसे ऊंची (5895 मीटर) किलिमजांरो चोटी को फतह किया। अब अगला लक्ष्य 8201 मीटर ऊंची चोटी चाऊ ओयू है, जिसकी तैयारी चल रही है।