पुलिस के बीच पहुंचकर बच्चे हुए रोमांचित

अमर उजाला पुलिस की पाठशाला के तहत हुआ आयोजन, एसएसपी ने बच्चों को समझाई पुलिसिंग, क्राइम से बचने को किया जागरूक

देहरादून। कोई त्यौहार हो या फिर कोई बड़ा आयोजन, पुलिस की कोई छुट्टी नहीं होती, 100 नंबर पर तमाम फर्जी कॉल आती हैं, जिसका पूरा रिकॉर्ड हमारे पास आ जाता है। ऐसे कॉल पर मुकदमा दर्ज कराया जाता है। पुलिस की नजर से कोई अपराधी बच नहीं सकता। सड़क पर चलते आपकी हर गतिविधि पर पुलिस की नजर रहती है। अमर उजाला ‘पुलिस की पाठशाला’ में आए यूनिवर्सल एकेडमी के छात्रों ने जब सवाल पूछे तो एसएसपी डा. सदानंत दाते ने कुछ इसी अंदाज में जवाब दिए। स्कूल के 30 छात्र-छात्राओं को अमर उजाला पुलिस की पाठशाला के तहत पुलिस कंट्रोल रूम का भ्रमण कराया गया।

बृहस्पतिवार 28 जुलाई को एसएसपी कार्यालय स्थित पुलिस कंट्रोल रूम पहुंचे बच्चों से एसएसपी डॉ. सदानंद दाते रूबरू हुए। यह बच्चे यहां अमर उजाला की खास मुहिम ‘पुलिस की पाठशाला’ के तहत लाए गए थे। बच्चों ने ट्रैफिक कंट्रोल रूम, सिटी कंट्रोल रूम और लोकल इंटेलीजेंस पहुंचकर यहां की कार्यप्रणाली जानी। इस मौके पर एसएसपी डॉ. दाते ने बच्चों को क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के बारे में भी बताया। उन्होंने बच्चों को बताया कि किस तरह से पुलिस हर विपरीत परिस्थिति में भी लोगों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहती है। शिक्षक गौरव अग्रवाल के नेतृत्व में पहुंचे बच्चों ने कई रोचक सवाल भी पूछे, जिनका जवाब एसएसपी ने दिया। इस मौके पर इंस्पेक्टर अनिल शर्मा, बीबीडी जुयाल, जनसंपर्क अधिकारी नरेंद्र गहलावत, अरुण सिंह के अलावा छात्र गरिमा सिंह, तरुण, निशा, सुमित शर्मा, मौ. जुनैद, आशुतोष, रिया डंगवाल, जैनब परवीन, विश्वजीत सिंह, आवेश खाली, दिशा शर्मा सहित भारी संख्या में छात्र मौजूद रहे।

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a क्या महिलाओं से जुड़े अपराधों की जांच महिला अधिकारी ही करती है?

ज्यादातर मामलों में कोशिश यही रहती है कि ऐसे मामलों की जांच महिला अधिकारी करे, लेकिन पुलिस में अभी महिलाओं की भारी कमी है। इस वजह से कई बार पुरुष अधिकारी भी जांच करते हैं।

a क्या थानों की जेल अलग से होती है, पुलिस कैसे जेल     भेजती है?

हर थाने में एक हवालात होती है। पुलिस अपराधी को केवल 24 घंटे तक हवालात में रख सकती है। इसके बाद कोर्ट में पेश किया जाता है। कोर्ट में माननीय न्यायाधीश उसे जेल भेजने के आदेश देते हैं।

a कंट्रोल रूम में फर्जी कॉल करने वालों पर क्या कार्रवाई होती है?

कंट्रोल रूम में तमाम फर्जी कॉल भी आती हैं। हर कॉल रिकॉर्ड होती है। हर कॉल करने वाले का नंबर पुलिस के पास आ जाता है। अगर कोई बार-बार परेशान करता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाती है। इस तरह के फर्जी कॉल नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों की वजह से कई बार असली जरूरतमंद तक पुलिस नहीं पहुंच पाती।

a कहीं कोई क्राइम होने पर चीता पुलिस को कैसे पता   चलता है?

सिटी कंट्रोल रूम में 100 नंबर पर कॉल आने पर उसकी पूरी जानकारी ऑनलाइन सिस्टम से संबंधित थाने और चीता पुलिस को भेज दी जाती है। चीता पुलिस की लोकेशन जीपीएस सिस्टम से ट्रेस करके जो भी नजदीकी होता है, उसे वहां भेज दिया जाता है।

a कहीं कोई घटना होने के बाद पुलिस कितनी देर में पहुंचती है?

सिस्टम के हिसाब से पुलिस काम करती है। कई बार घटनास्थल दूर होने पर थोड़ा समय तो लगता है लेकिन औसतन पुलिस 10 से 15 मिनट में पहुंच जाती है। शहर के बीच में घटना होने पर पुलिस जल्दी पहुंच जाती है।

a एलआईयू क्या होती है, यह कैसे काम करती है?

जिस तरह विदेश में खुफिया तंत्र के लिए रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), देश के अंदरूनी खुफिया तंत्र के तौर पर इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) काम करती है, वैसे ही लोकल स्तर पर लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (एलआईयू) काम करती है। यह स्पेशल यूनिट बिना वर्दी के जनता के बीच में रहकर खुफिया सूचनाएं जुटाती है। जैसे-कहीं कोई संदिग्ध व्यक्ति, कोई आंदोलन, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम आदि।

a क्या पुलिस को संडे की छुट्टी मिलती है?

पुलिस का काम बेहद चुनौतीपूर्ण है। सर्दी, गर्मी, बरसात, ईद, दिवाली, होली या कोई भी राष्ट्रीय पर्व…पुलिस हमेशा जनता की सुरक्षा में मुस्तैद रहती है। पुलिस में संडे या मंडे जैसा कोई भी छुट्टी का दिन नहीं होता है।

a अगर हम कहीं किसी घटना की जानकारी पुलिस को दें तो पुलिस हमें ही तो नहीं पकड़ेगी?

ऐसा बिल्कुल नहीं है। एक सच्चे नागरिक के तौर पर पुलिस हमेशा आपकी साथी है। पुलिस केवल उन्हें पकड़ती है जो गलत काम, चोरी करते हैं, मारपीट करते हैं। पुलिस आपकी मित्र है।

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हमारे आसपास तमाम ऐसे अपराध होते हैं, जिनके बारे में या तो हम जानकारी नहीं रखते या फिर पुलिस के डर से चुप रह जाते हैं। बच्चों के साथ तमाम ऐसी क्राइम की घटनाएं होती हैं, जिससे उनका जीवन प्रभावित होता है। अमर उजाला की ओर से पुलिस की पाठशाला मुहिम युवाओं को जागरुक करने का प्रयास है। सभी आठ हिंदी भाषी राज्यों के सभी संस्करणों में अमर उजाला की ओर से स्कूली छात्र-छात्राओं के लिए पुलिस की पाठशाला का आयोजन किया जाता है। पाठशाला के माध्यम से बच्चों को पुलिस की कार्यप्रणाली, पुलिस के पास तक शिकायत ले जाने की प्रक्रिया, जुर्म के खिलाफ आवाज उठाने जैसी जानकारियां दी जाती हैं। अगर आप भी अपने स्कूल के बच्चों को पुलिस की कार्यप्रणाली से रूबरू कराना चाहते हैं तो हमारे फोन नंबर 9758182999, 8392922180 पर कॉल कर सकते हैं।

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सोशल साइट्स का बेहद सावधानी से करें इस्तेमाल

सोशल साइट्स पर भी कई छात्रों ने सवाल पूछे। एसएसपी डा. सदानंद दाते ने बताया कि कई बार अपराधी आपके फेसबुक या ट्वीट्र अपडेट्स की वजह से आप तक पहुंच सकता है। देश में ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं। उन्होंने बच्चों को नसीहत दी कि वह सोशल साइट्स का बेहद सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करें। इस पर अपनी पर्सनल बातें शेयर न करें। किसी भी अनजान को फ्रेंड न बनाएं। कई बार ऐसा भी हुआ है कि पूरा परिवार कहीं घूमने गया है और किसी ने सोशल साइट्स के अपडेट के आधार पर चोरी कर ली।

बिना लाइसेंस के न चलाएं वाहन

एसएसपी ने सभी छात्रों को यह भी सीख दी कि वह 18 वर्ष की आयु पूरी करने से पहले वाहन चलाने से बचें। 18 वर्ष के बाद सबसे पहले अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाएं, इसके बाद ही वाहन चलाएं। उन्होंने बच्चों को वाहन पर ट्रिपलिंग न करने की भी हिदायत दी।

आपकी हर हरकत पर तीसरी आंख की नजर

अगर आप शहर से गुजर रहे हैं तो आपकी हर हरकत पर पुलिस की नजर है। पुलिस की पाठशाला में आए यूनिवर्सल एकेडमी के बच्चे कैमरों की कवरेज देखकर चौंक गए। उन्हें पुलिस कप्तान ने बताया कि शहर के आशारोड़ी चौकी से लेकर मसूरी रोड तक पुलिस के एचडी कैमरे लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि सड़क पर हमेशा नियमों का पालन करें।