तेजाब हमले में पीड़ितों के परिजनों ने बताया कैसी हो गई थी उनके बच्चों की जिंदगी
तेजाब पीड़ितों को इलाज मिला तो दुआओं के लिए उनके परिजनों के हाथ उठे। कहा कि उत्तर भारत में तेजाब पीड़ितों के लिए यह पहला शिविर है और अमर उजाला फाउंडेशन ने अभिनव पहल की है।
शिविर में एसआईएमएस अस्पताल वाडापलानी चेन्नई के प्रख्यात प्लास्टिक सर्जन डॉ. के श्रीधर एवं उनकी टीम तेजाब पीड़ितों की सर्जरी कर रही है। निशुल्क सर्जरी होने के कारण तेजाब पीड़ितों का मनोबल बढ़ा हुआ है। पीड़ितों के मन में आस है कि सर्जरी के बाद वे स्वस्थ हो जाएंगे। रोजमर्रा के जीवन के काम करने में उन्हें कठिनाई नहीं होगी।
बच्चों की जिंदगी बन जाए और क्या चाहिए
तेजाब पीड़ितों के परिजनों ने कहा कि वो बड़ी उम्मीद लेकर यहां आए हैं। सर्जरी बहुत महंगी है और ऐसे में अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से निशुल्क सर्जरी शिविर कराना डूबते को सहारा देने जैसा है। तेजाब पीड़ितों एवं उनके परिजनों को ठहरने के लिए हरगोविंद सुयाल सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज के प्रबंध ने कालेज भी निशुल्क उपलब्ध कराया है।
सर्जरी के लिए ये 15 मरीज किए गए भर्ती
सितारा बी बदायूं, सुमालला नैनीताल, पुष्पा देवी बागेश्वर, परवीन देवबंद सहारनपुर, मोहनी गुप्ता रुद्रपुर, दिव्या शर्मा मुरादाबाद, मीरा देवी बरेली, रीना पाल प्रतापगढ़, जहांआरा हल्द्वानी, इल्मा मुरादाबाद, हीना बी चंदौसी मुरादाबाद, गुलनाज खां जसपुर, बालक राम पीलीभीत, अजीत सिंह एटा, रिंकू रामपुर।
बच्चों की जिंदगी बन जाए और क्या चाहिए
हल्द्वानी के शाहिद की मां अफरीदा खातून कहती हैं कि 10 जून 2014 को हादसा हुआ था। तब बेटा शाहिद तीन और उसके शौहर की बहन नाजिया तीन साल की थी। शाहिद, नाजिया और पड़ोस में रहने वाला फैजान तीनों बच्चे खेल रहे थे। तभी पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति ने फैजान के घर से आपसी रंजिश के चलते बच्चों पर तेजाब की बोतल फेंक दी। इससे बच्चों की जिंदगी खराब हो गई। अमर उजाला ने जो प्रयास किया है वह काफी सराहनीय है। शाहिद और नाजिया को यहां इलाज के लिए लाए हैं। बच्चों की जिंदगी बन जाए, हम इसके लिए अमर उजाला के शुक्रगुजार रहेंगे।
 
						
						