ट्रैफिक से साइबर क्राइम तक की बताईं बारीकियां
फतेहपुर। राजकीय इंटर कॉलेज में गुरुवार को पुलिस की पाठशाला लगी। इसमें बच्चों को सड़क पर चलने के नियम से लेकर साइबर क्राइम तक की बारीकियां बताई गईं। यह आयोजन अमर उजाला के तत्वावधान में किया गया। खचाखच भरे सभाकक्ष में पुलिस बच्चों के बीच की खाई पाटने की कोशिश की गई। पाठशाला में मुख्य अतिथि सीओ सिटी वंदना सिंह ने बच्चों के हित में बनाए कानूनों पर चर्चा की।
पाठशाला में मुख्य अतिथि सीओ सिटी वंदना सिंह ने कहा कि अमर उजाला के सामाजिक सारोकार से जुड़े कार्यक्रमों की जितना सराहना की जाए कम है। ऐसे कार्यक्रमों के कारण हिंदी दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला ने अपनी अच्छी पहचान बनाने में सफलता हासिल की है। उन्होंने कहा पाठशाला का उद्देश्य जनता और पुलिस के बीच का गैप समाप्त करना है। पुलिस जनता की मदद के लिए है, उनका उत्पीड़न करने के लिए नहीं। जरूरत पड़ने पर पुलिस आपकी दोस्त बनकर खड़ी होगी। उन्होंने कहा कि किशोर अपराध रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कानून बनाए गए हैं। इनमें किशोर सुधार अधिनियम, पास्को एक्ट बच्चों की गलत आदतें सुधारने के लिए बनाए गए हैं। कम उम्र के बच्चों के अपराध करने पर उन्हें बाल संरक्षण केंद्र में रखकर सुधारने की व्यवस्था है। जिससे उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। किशोर की उम्र निर्धारण पर चर्चा करते हुए कहा कि अब नई व्यवस्था के तहत 16 साल की उम्र के बाद गंभीर अपराध करने पर किशोर पर कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। ऐसी हालत में साफ है कि इस उम्र के बाद वह किशोर की श्रेणी में नहीं आएगा। घर के अंदर बच्चों पर होने वाले अपराध पास्को की श्रेणी में आते हैं। ऐेसे अपराध छिपाएं नहीं। उन्हें उजागर करके कानून की मदद करें। ऐसे अपराधों में पूछताछ के लिए पुलिस सादी वर्दी में पहुंचेगी, जिससे बच्चों में पुलिस का भय न रहे।
साइबर क्राइम पर चर्चा करते हुए कहा कि इंटरनेट का उपयोग ज्ञान अर्जन के लिए करें। अज्ञानता से अश्लील, देशद्रोह, धार्मिक कटुता पैदा करने वाले मैसेज किसी ग्रुप या किसी के व्हाटशप में कतई न करें। ऐसे अपराध साइबर क्राइम की श्रेणी में आते हैं, जिसे बच्चे मजाक-मजाक में कर बैठते हैं, लेकिन पुलिस कार्रवाई होने पर उन्हें गलती का अहसास होता है। ऐसे मैसेज मोबाइल पर आने पर तुरंत शिकायत करें। संचालन प्रवक्ता प्रेमशंकर तिवारी ने किया। इस दौरान प्रिंसिपल रामेंद्र सिंह, परीक्षा प्रभारी विनोद श्रीवास्तव, रामबाबू पाल, कमलेश कुमार, रामभवन, दिनेश चंद्र, उमाशंकर, कृष्णावतार, लाला गौतम, दीप नरायण, भरत बाबू, विष्णु कुमार, राजेश शर्मा, श्याम लाल आदि मौजूद रहे।
पुलिस का व्यापक कार्यक्षेत्र
बच्चे के जन्म से लेकर कब्र की सुरक्षा तक की जिम्मेदारी पुलिस की है। पुलिस के पास सीमित संसाधन हैं। पुलिस 95 प्रतिशत जनता की मदद करती है, जबकि अपराधी किस्म के 5 प्रतिशत लोगों से सख्ती से निपटती है।
जरूरत पर इन नंबरों से मांगें मदद
1090 नंबर पर कोई भी महिला उत्पीड़न की शिकायत कर सकती है। पहली बार पुलिस जाकर संबंधित को समझाने का प्रयास करेगी। पुनरावृत्ति होने पर दंडात्मक कार्रवाई करेगी। आम लोगों को पुलिस मदद के लिए 100 नंबर डायल करें, लेकिन गलत सूचना देकर पुलिस को गुमराह करना अपराध की श्रेणी में आता है।
हेलमेट खुद के लिए लगाएं
यातायात प्रभारी शैलेंद्र सिंह ने कहा कि कम उम्र के बच्चे बाइक न चलाएं, ट्रिपलिंग से बचें। हेलमेट पुलिस से बचने के लिए नहीं, बल्कि स्वयं को बचाने के लिए प्रयोग करें। 18 साल से कम उम्र के बच्चे साइकिल से स्कूल आएं।
अमर उजाला ने जीआईसी में लगाई पुलिस की पाठशाला
पुलिस और बच्चों के बीच की खाई पाटने की कोशिश
16 की उम्र के बाद किशोर को समान दंड का प्रावधान
 
						
						