झांसी की रानी और कल्पना चावला की तरह निडर बनों
यमुनानगर। अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से न्यू हैप्पी पब्लिक स्कूल में मंगलवार को पुलिस की पाठशाला लगाई गई। इसमें छात्र – छात्राओं को बाल अपराधों , छेड़छाड़ की घटनाओं से निपटने व यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया गया। कार्यक्रम में पुलिस उपाधीक्षक अजय राणा मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने छात्र – छात्राओं के सवालों के जवाब दिए , साथ ही उनकी शंकाओं का समाधान किया।
मुख्यातिथि के स्कूल पहुंचने पर प्रिंसिपल डॉ बिंदू शर्मा व स्कूल सचिव विकास शर्मा ने उनको बुके देकर स्वागत किया। पुलिस उपाधीक्षक ने कहा कि बाल अपराधों व महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं। जिनके बारे में छात्र – छात्राओं को जानकारी हासिल करनी चाहिए। खासकर छात्राओं को इनकी जानकारी होनी चाहिए , क्योंकि उन्हें घर से बाहर निकलने पर उनका आवारा युवकों व मनचलों से वास्ता पड़ता है। उन्होंने कहा कि समाज में हर तरह के लोग हैं। कुछ सभ्य होते हैं , लेकिन कुछ की सोच अच्छी नहीं होती है। ऐसे लोग ही असामाजिक कहलाते हैं। लड़कियों को ऐसे लोगों से सचेत रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस समाज की प्रहरी है। कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ असामाजिक तत्वों का पहचान कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाती है। लेकिन स्टाफ की कमी के कारण हर उस जगह नहीं पहुंच पाती , जहां अपराध घटित होता है। ऐसे में समाज के हर वर्ग को अपराध व अपराधी की जानकारी पुलिस को देकर मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ते जा रहे हैं , जिसे रोकने के लिए पुलिस विभाग हमेशा तत्पर रहा है। उन्होंने बताया कि आदर व पूजा की अधिकारिणी नारी अपने अधिकार एवं कर्तव्य के प्रति सजग व सचेत है , फिर भी उनके प्रति लोगों की सोच संकीर्ण है। पुलिस की ओर से महिलाओं की सुरक्षा के लिए अनेक कानून बनाए गए हैं , ताकि उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जा सके। उन्होंने कहा कि महिलाएं किसी भी तरह पुरुषों से कम नहीं है। उन्होंने लक्ष्मीबाई , कल्पना चावला , किरण बेदी जैसी महिलाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि आप भी इनकी तरह निडर होकर समाज और देश का नाम रोशन कर सकती हैं।
महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव जरूरी : डा . बिंदू
स्कूल की मुख्याध्यापिका डॉ . बिंदू शर्मा ने कहा कि पुलिस आमजन की खुशी के लिए अपने घर – परिवार से दूर रह कर सभी त्यौहार और खुशियों के मौके छोड़ कर सदा समाज की सेवा में तत्पर रहती हैं। पुलिस व कानूून के प्रयासों के साथ हमें अपनी सोच को भी बदलना होगा। महिला अपराधों की समस्या से निपटने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जाने चाहिए , जो हम समाज में रहकर ही कर सकते हैं। स्कूल सचिव विकास शर्मा ने कहा कि नारी को पूज्य माना जाता है। आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नारी पुरुषों से आगे निकल चुकी है। हमें महिलाओं का सम्मान करना चाहिए।
सर , हमारी ड्रेस गलत या लोगों की सोच ….
पाठशाला के दौरान छात्राओं शिवालिका , आंचल व बक्शविंद्र ने पुलिस उपाधीक्षक से प्रश्न किया – सर , क्या लड़कियों की ड्रेस अपराधों की वजह है और लड़कियों के प्रति समाज की सोच कैसे बदली जा सकती है ? पुलिस उपाधीक्षक ने कहा कि ऐसा नहीं है कि वेशभूषा अपराध की वजह है। सोच बदलने से भी अपराध पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसके लिए हर स्तर पर जागरूकता लाई जानी चाहिए। जिनकी सोच नहीं बदलती , उनसे निपटने के लिए पुलिस है। ऐसे लोगों के बारे में पुलिस को सूचित करें , पुलिस तुरंत मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करेगी। कई अन्य छात्राओं ने सवाल किया कि स्कूल आते – जाते समय अक्सर लड़के कमेंट्स करते हैं। पेरेंट्स को इसके बारे में बताते हुए हिचक आती है। ऐसे में लड़कियां क्या करें। पुलिस उपाधीक्षक ने बताया कि पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर कॉल कर सकते हैं। पुलिस पीसीआर या राइडर्स तुरंत मौके पर पहुंच जाएगी। इसके अलावा छेड़छाड़ करने वाले की पहचान कर पुलिस को सूचना दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि लड़की बालिग है तो उसकी तरफ से थाने में शिकायत दी जा सकती है। लेकिन यदि लड़की नाबालिग है तो उसके पेरेंट्स की तरफ से शिकायत देनी पड़ेगी। पुलिस उपाधीक्षक ने बताया कि पुलिस थानों में शिकायत देने में महिलाओं को झिझक होती थी , इसलिए महिला पुलिस थाने बनाए गए हैं , जहां कोई भी महिला बेझिझक अपनी शिकायत दे सकती हैं। इसी तरह छात्राओं ने चाइल्ड हेल्पलाइन की सेवाओं के बारे में भी सवाल पूछें।
पुलिस को देखकर भागे नहीं ….
एक छात्र ने सवाल किया कि टू व्हीलर्स चलाते समय लड़कियों के चालान नहीं काटे जाते , जबकि बाइक पर निकलने वाले छात्रों को पुलिस रोक लेती हैं। पुलिस उपाधीक्षक ने कहा कि यातायात नियम तोड़ने में या अपराध में महिलाओं की भागीदारी न के बराबर होती है। इसी कारण महिलाओं को रियायत दी जाती है। पुलिस सभी लड़कों को नहीं रोकती। मुंह पर कपड़ा ढककर वाहन चलाने वाले या स्पीड में वाहन चलाने वालों को ही रोका जाता है। उन्होंने आगाह किया कि पुलिस को देखकर वाहन लेकर भागे नहीं , बल्कि वाहन रोक लें। पुलिस बेवजह किसी को परेशान नहीं करती है।
 
						
						


